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नई धान की मिलिंग में पुराना चावल जमा कर रही महालक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल

नई धान की मिलिंग में पुराना चावल जमा कर रही महालक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल

बुधवार, 22 फ़रवरी 2023

/ by News Anuppur

राईस मिल

मिल परिसर में भंडारित धान के सत्यापन के बाद खुल सकेगा राज

अनूपपुर। जिले में नागरिक आपूर्ति विभाग अनूपपुर से अनुबंधित मिलरों द्वारा वर्ष 2022-23 की उपार्जित धान का उठाव कर मिलिंग की जा रही है। जहां मिलरों द्वारा उक्त धान की बिना मिलिंग कर बिलासपुर व रायपुर बेचते हुये यूपी, बिहार व छत्तीसगढ़ से गुणवत्ता विहीन पुराना चावल मंगाकर उसे वेयर हाउस के गोदाम में भंडारित कर मिलिंग नीति के विरूद्ध कार्य किया जा रहा है। एैसा ही एक मामला कोतमा के देवगवां में संचालित महा लक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल का सामने आया है। जहां मिल संचालक द्वारा मिलिंग नीति के विरूद्ध जाकर धान की मिलिंग का कार्य किया जा रहा है। जानकारी के अनुसार उक्त राईस मिल द्वारा नागरिक आपूर्ति विभाग अनूपपुर से 220 लाॅट धान का अनुबंध किया गया। जिसमें अब तक मिलिंग हेतु 147 लाॅट धान का उठाव करते हुये मिलिंग करते हुये 92 लाॅट चावल गोदाम में भंडारित कराया गया तथा 55 लाॅट चावल अब भी शेष बैलेंस है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उक्त राईस मिल में कुल से 30 लाॅट धान ही भंडारित है, लगभग 20 लाॅट मिल के स्टाॅक मिल परिसर में कम होने की सूचना आग की तरह फैली हुई है। जिसकी जांच अगर विभागीय अधिकारियों द्वारा की जाती है तो मिल संचालक द्वारा किये जा रहे इस पूरे खेल का खुलासा हो सकेगा। 

नई उपार्जित धान के बदले हो रहा पुराना चावल जमा

धान उपार्जन वर्ष 2022-23 में 15870 किसानो से 9 लाख 20 हजार 722 क्विंटल धान की खरीदी गई। लेकिन जिले में हुये रिकार्ड तोड़ धान खरीदी में जिले के पंजीकृत राईस मिलरों द्वारा धान का उठाव कर मिलिंग की जा रही है। वहीं प्रदेश में धान की सबसे तेज मिलिंग करने वाला पहला जिला अनूपपुर बनकर ऊभरा है। लेकिन महा लक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल देवगवां के संचालक द्वारा मिलिंग हेतु उपार्जित धान का उठाव तो कर लिया गया, लेकिन नियमों को ताक में रखते हुये बाजार से पुराना चावल जमा करने की सूचना सामने आ रही है। जहां नाॅन से धान का उठाव करने के बाद अब भी इनके मिल में 20 से 30 लाॅट धान कम है। 

राईस मिलरों में भंडारित धान का नही होता सत्यापन

मिलिंग नीति की कंडिका क्रमांक 6.1.12 के अनुसार जिला आपूर्ति अधिकारी, जिला प्रबंधक, एमपीडब्ल्यूएलसील के शाखा प्रबंधक की टीम जिले के राईस मिलों में भंडारित धान का भौतिक सत्यापन करने के निर्देश है, लेकिन उक्त निर्देशों के बाद बावजूद आज दिनांक तक महालक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल द्वारा मिलिंग में किये जा रहे खेल का व राईस मिल परिसर में भंडारित धान की अब तक जांच नही की गई। जहां नाॅन से धान का उठाव के बाद किये गये पूरे खेल का खुलासा किया जा सकता है।

सीएमआर चावल की गुणवत्ता पर भी उठे सवाल

पूरे मामले में जहां महालक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल देवगवां द्वारा धान की मिलिंग के बाद जमा किये गये चावल की गुणवत्ता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा हो गया है। जहां मिल संचालक द्वारा मिलिंग नीति के विपरित जाकर मिलिंग के नाम पर जाम किये गये खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग भोपाल के निर्धारित मापदंडों के अनुरूप है। इसके साथ ही 

सुरक्षा के नाम पर गरीबो से खिलवाड़

गरीबों को पोषण सुरक्षा प्रदान किये जाने के नाम पर फोर्टीफाइड चावल की गुणवत्ता पर प्रश्न चिन्ह खड़ा हो गया है। जहां महालक्ष्मी साॅरटेक्स राईस मिल के संचालक से नागरिक आपूर्ति विभाग अनूपपुर मिलीभगत कर फोर्टीफाइड चावल के नाम पर लोगो के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने में लगे हुये है। जहां नाॅन के क्वालिटी निरीक्षको पर फोर्टीफाइट चावल की बिना जांच किये हुये काॅर्पोरेशन के मिलिंग नीति के विरूद्ध जाकर फोर्टीफाइट सीएमआर चावल को बिना गुणवत्ता परखे सीधे पीडीएस दुकानों में भेजने की तैयारी में है। जबकि फोर्टीफाइट चावल की गुणवत्ता के लिये पहले एज ऑफ राईस (चावल की उम्र) की जांच होने है। इस जांच के लिये काॅर्पोरेशन द्वारा नाॅन को कैमिकल तो उपलब्ध करा दिया गया है। जिसकी जांच में नये व पुराने चावल की पहचान सामने आ जायेगी। जिसमें चावल में कैमिकल डालते ही अगर चावल का कलर हरा होता है तथा पुराना होने पर चावल का रंग पीला हो जाता है। लेकिन मिलरों का क्वालिटी निरीक्षकों से सांठगांठ होने तथा प्रत्येक लाॅट का कमीशन भंेंट चढ़ चुका है।


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