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अमृत सरोवर निर्माण में नदी के चट्टानो को तोड़कर घसिया पत्थर का किया जा रहा उपयोग

अमृत सरोवर निर्माण में नदी के चट्टानो को तोड़कर घसिया पत्थर का किया जा रहा उपयोग

गुरुवार, 2 मार्च 2023

/ by News Anuppur

मामला ग्राम पंचायत धुम्मा का, नदी से 20 मीटर की दूरी पर सरोवर का हो रहा निर्माण कार्य

अनूपपुर। केन्द्र सरकार की कल्याणकारी अमृत सरोवर योजना से गर्मी के दिनों में भू जल स्तर को बनाये रखने के के साथ ही ग्रामीण वासियों को पीने के पानी, सिंचाई की व्यवस्था कर किसानो को लाभ, गर्मी के दिनों में तालाबों में जलीय जीव व पशु पक्षियों को पानी की समस्या से निजात दिलाने सहित ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराये जाने के उद्देश्य से बनाये जा रहे तालाब में गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य कर सरपंच- सचिव व उपयंत्री द्वारा शासन को लाखों रूपयों की क्षति पहुंचाई जा रही है। ऐसा ही एक मामला जनपद अनूपपुर अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत धुम्मा का है। जहां महात्मा गांधी नरेगा अभिषरण से अमृत सरोवर का निर्माण हेतु 19.95 लाख की राशि से तालाब का निर्माण कराया जा रहा है। इस पूरे निर्माण कार्य में गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।

नदी से 20 मीटर की दूरी पर हो रहा निर्माण कार्य

एक तरफ जहां केन्द्र सरकार द्वारा अमृत सरोवर योजना के तहत बनाये जा रहे तालाब का मुख्य उद्देश्य भू-जल स्तर को बनाये रखना है, लेकिन ग्राम पंचायत धुम्मा में अमृत सरोवर योजना के तहत तालाब निर्माण के कार्य का चयन नदी से 20 मीटर की दूरी पर ही किया जा रहा है। जबकि भू-जल स्तर बनाये रखने के लिये उक्त निर्माण स्थल पर नदी है। इतना ही नही तालाब निर्माण में निर्माण सामग्री को निर्धारित मापदंड के अनुसार उपयोग ना करते हुये गुणवत्ता विहीन निर्माण कार्य को अंजाम दिया जा रहा है।

नदी के चट्टानो को तोड़कर घसिया पत्थर का हो रहा उपयोग

अमृत सरोवर तालाब निर्माण में लगने वाले पत्थरों को सरपंच-सचिव व उपयंत्री द्वारा मिली भगत कर 20 मीटर की दूरी पर बहने वाली नदी के चट्टानों को तोड़कर जहां नदी के अस्तित्व पर सवाल खड़े कर दिये है। वहीं चट्टानो को तोड़कर निकलने वाले घसिया पत्थर को उपयोग में लाया जा रहा है। जानकारी के अनुसार घसिया पत्थर से तालाब के निर्माण पर उसकी गुणवत्ता पर कई सवाल खड़े कर दिये है। 

पत्थर की नही होती दुकान, तो नदी के चट्टानो को तोड़कर कर रहे उपयोग

जब इस पूरे मामले में सब इंजीनियर लव श्रीवास्तव से जानकारी चाही गई तो उन्होने बताया कि पत्थर की कोई दुकान नही होती है, उन्होने कहा की पेसा एक्ट के तहत निर्माण कार्य के पास अगर राजस्व से संबंधित सामग्री है, तो हम उसका उपयोग कर सकते है। नदी के चट्टानो को तोड़कर निकाले जाने वाले पत्थर को तोड़ने के लिये हमें जिला पंचायत द्वारा इसकी अनुमति प्रदान की गई है। आखिरकार सब इंजीनियर लव श्रीवास्तव द्वारा एक तरफ नदी के चट्टानो को तोड़कर नदी के अस्तित्व को संकट में डालने का कार्य करवाया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ नदी से निकलने वाले गुणवत्ता विहीन घसिया पत्थर से तालाब की पिचिंग में उक्त पत्थर का उपयोग कर गुणवत्ता विहीन कार्य किया जा रहा है।

कैसे मिलेगा योजना का लाभ

एक तरफ केन्द्र सरकार की महत्वपूर्ण व कल्याणकारी अमृत सरोवर योजना का किस तरह जिले में पलीता लगाया जा रहा है। जिसका उदाहरण ग्राम पंचायत धुम्मा मंे देखा जा सकता है। इस योजना के तहत जहां भू जल स्तर को बनाये रखने के साथ ही ग्रामीणो, किसानो सहित जलीय जीव व पशु पक्षियों को गर्मी के समय पानी की समस्या से निजात मिलनी है, वहीं इन सरोवर निर्माण से व्यवसाय मंे वृद्धि करना सबसे प्रमुख उद्देश्य है। लेकिन सरपंच-सचिव सहित सब इंजीनियर की मिली भगत से इस योजना के तहत गुणवत्ता विहीन बनाये जाने से इस सरोवर का लाभ किस तरह मिलेगा, ये तो अब भगवान के भरोसे है। 

इनका कहना है

नदी के चट्टानो को तोड़कर पत्थरो का उपयोग लेने से पहले अनुमति ली जानी चाहिये।  ऐसी शिकायत आती है तो निश्चित ही कार्यवाही भी की जाएगी।

आशा लता वैद्य, खनिज अधिकारी अनूपपुर


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