शिक्षक अपने ही घर में दो वर्षो से स्कूल का कर रहे संचालन, शिक्षा विभाग मौन
अनूपपुर। आजादी के 76 साल बाद भी मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में शिक्षा विभाग की कड़वी सच्चाई सामने आई है, जहां शिक्षा के स्तर की तस्वीर देखकर शर्मिंदगी से सर झुकाने को मजबूर कर देगी। मामला जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के ग्राम पंचायत फरहदा के कानूटोला, माझेटोला की प्राथमिक विद्यालय एवं आंगनबाड़ी केंद्र परसेलकला का है। जहां दोनो ही प्राथमिक विद्यालय का भवन खंडहर मंे तब्दील हो जाने के बाद इन दोनो स्कूलों का संचालन वर्ष 2019 से शिक्षको द्वारा अपने स्वयं के मकान में करा रहे है। जिसके कारण बच्चे 2 किमी कीचड़युक्त पगड़डी रास्तों का सफर तय कर शिक्षक के घर पहुंच शिक्षा प्राप्त कर रहे है।
मजबूर शिक्षकों ने अपने ही घर को बनाया स्कूल
जानकारी के अनुसार वर्ष 2019 से भवन विहीन शासकीय प्राथमिक विद्यालय कानूटोला में 42 बच्चे अध्ययनरत है, शिक्षिका गीता आर्मो ने बताया कि स्कूल भवन नही होने के कारण बच्चों को 2 किमी दूर ग्राम फरहदा बुलाना पड़ता है। कानूटोला के आसपास भी उन्हे स्कूल संचालन के लिये कोई जगह नही मिली, जिसके बाद मजबूरन विद्यालय का संचालन शिक्षिका अपने घर के एक कमरे में ही कर रही है। वहीं प्राथमिक विद्यालय माझेटोला में 15 बच्चे अध्ययनरत है। जिसका भवन भी खंडहर हो जाने से वर्ष 2021 से शिक्षक डीलन सिंह मरावी ने स्कूल का संचालन अपने स्वयं के घर में किया गया है।
पेड़ की छांव में आंगनबाड़ी के बच्चे में
पुष्पराजगढ़ के दो शासकीय प्राथमिक विद्यालयों के बाद भवन विहीन आंगनबाड़ी केन्द्र परसेलकला का मामला भी सामने आया, जिसमे बारिश के दिनों में आंगनबाड़ी के बच्चों को माध्यमिक शाला में स्थित अतिरिक्त भवन के बरामदे में तो गर्मी व ठंड के दिनों में पेड़ों की छांव में पढ़ाई करते है। भवन विहीन आंगनबाड़ी व प्राथमिक विद्यालय के संचालन के लिये शिक्षा विभाग ने बीते कई वर्षो से कोई दूसरा वैकल्पिक व्यवस्था की तरफ भी ध्यान नही दिया गया।
शिक्षा के स्तर को बयां कर रही तस्वीरें
शासकीय शालाओं के भवन ना होने तथा शिक्षको द्वारा लगातार तीन वर्षो अपने वरिष्ठ कार्यालयों से पत्राचार करने के बाद कोई समाधान नही निकलने पर माझेटोला एवं कानूटोला विद्यालय के शिक्षको ने इसे मजबूरी की पाठशाला का नाम देते हुये अपने ही घर के एक कमरों शासकीय विद्यालयों का संचालन किया गया है। जहां इन विद्यालयों के संचालन के बाद शिक्षा विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इन विद्यालयों की सुध लेने ही भूल गये।
इनका कहना है
पूरे मामले की सबंधित अधिकारियों से जानकारी ली जाएगी। उक्त दोनो विद्यालय भवन को स्वीकृत कराया जाएगा।
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