गणवेश वितरण में जिपं. सीईओ एवं आजीविका के प्रबंधक की लापरवाही बच्चों पर पड़ी भारी
अनूपपुर। जिला पंचायत कार्यालय में संचालित राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा वर्ष सत्र 2023-24 में जिले के प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं के छात्र-छात्राओं को गणवेश वितरण किए जाने में जमकर लापरवाही बरती गई है। जहां शिक्षण सत्र 2023-24 के समाप्ति के बाद आजीविका मिशन द्वारा जिले में संचालित 1 हजार 553 प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में से मात्र 45 विद्यालयों के छात्र-छात्राओं के लिए गणवेश उपलब्ध कराया गया है। इस पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ तन्मय वशिष्ठ शर्मा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल आकर खड़े हो गये है। जहां कक्षा 1 से 8वीं तक के बच्चों की परीक्षा समाप्त होने के बाद उन्हे गणवेश प्रदान किए जाने की कार्यवाही प्रारंभ की गई है। इतना ही नही एक सप्ताह के अंदर आदर्श आचार संहिता लगने वाली है, जिसके कारण स्व-सहायता समूह द्वारा 2500 बच्चों के लिए तैयार किए गए 5606 गणवेश का वितरण भी होना संभवन नही है। जिसके कारण जिले में हुई इस बड़ी लापरवाही के कारण पूरे सत्र में बच्चे गणवेश से वंचित रहे है, जबकि एक छात्र को दो गणवेश दिया जाना था।
यह है मामला
राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा शिक्षण सत्र 2023-24 में प्राथमिक एवं माध्यमिक शालाओं में अध्ययनरत छात्र-छात्रों को समय-सीमा में गणवेश उपलब्ध कराए जाने के निर्देश मुख्य कार्यपालन अधिकारी म.प्र. डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन को दिया गया था। जहां शैक्षणिक सत्र 2023-24 के प्रारंभ होते ही जुलाई माह में जिले के समस्त प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनतर छात्र-छात्राओं को गणवेश का वितरण कर दिया जाना था। लेकिन जिला पंचायत सीईओ तन्मय वशिष्ठ की कार्यप्रणाली एवं म.प्र. डे. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अनूपपुर के जिला परियोजना प्रबंधक शशांक प्रताप सिंह की लापरवाही के कारण शैक्षणिक सत्र समाप्त हो जाने के बाद जिले के 1 हजार 553 प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालयों में अध्ययनतर लगभग 70 हजार 300 बच्चों में से मात्र 45 विद्यालयों के 2 हजार 500 बच्चों को 5 हजार 606 गणवेश उपलब्ध कराया गया है।
68 हजार छात्र गणवेश से रह गए वंचित
मामले की जानकारी के अनुसार जिले में संचालित 1 हजार 162 प्राथमिक एवं 395 माध्यमिक विद्यालयों में लगभग 70 हजार 300 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत है। जिन्हे म.प्र. डे. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अनूपपुर द्वारा स्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश सिलाई कर उपलब्ध कराया जाना था। लेकिन शिक्षण सत्र 2023-24 के समाप्ति की ओर है तथा कक्षा 5वीं एवं 8वीं की परीक्षा संपन्न हो चुकी है, जिसके बाद कुल 45 विद्यालयों के 2500 छात्र-छात्राओं गणवेश उपलब्ध कराए जाने की कार्यवाही की गई है। जिसके कारण जिले के लगभग 68 हजार बच्चे गणवेश से वंचित रहे गए है।
3 स्व सहायता समूहों ने 5606 गणवेश किए तैयार
पूरे मामले में जहां शैक्षणिक सत्र 2023-24 के समाप्ति की ओर होने तथा जिले के शासकीय शालाओं में गणवेश तैयार करने की जिम्मेदारी 3 स्व सहायता समूहों को दी गई थी। जिसमें उन्होने जिले के 4 विकासखंडों में से दो विकासखंड में संचालित 45 विद्यालयों के 2500 बच्चों के लिए कुल 5606 गणवेश की सिलाई का कार्य किया गया है। जिसमें जैतहरी विकासखंड के सपना स्व सहायता समूह ने 2400, संध्या स्व सहायता समूह ने 2382 एवं कोतमा विकासखंड के वैष्णों आजीविका स्व-सहायता समूह द्वारा 814 गणवेश तैयार किए गए तथा उक्त गणवेश को वितरित किए जाने हेतु संबंधित विद्यालयों में प्रदायगी कर दी गई है। लेकिन अब भी पूरे मामले में गणवेश वितरण एसएचजी पोर्टल एवं एम-शिक्षामित्र एप में शून्य दिख रहा है।
जिपं. सईओं की कार्यप्रणाली पर लगा प्रश्रचिन्ह
जिले में शिक्षा के स्तर पर सुधार लाए जाने के लिए जहां कलेक्टर आशीष वशिष्ठ द्वारा अनेकों प्रयास किए जा रहे है। जिससे गरीब तबके के बच्चों को शासकीय विद्यालयों में भी गुणवत्ता युक्त शिक्षा प्राप्त हो सके। लेकिन शासन स्तर से दी गई जिम्मेदारी वा समय सीमा में बच्चों को गणवेश शैक्षणिक सत्र की समाप्ति पर उपलब्ध कराया जाना म.प्र. डे. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अनूपपुर की घोर लापरवाही को प्रदर्शित करती है। जिसके कारण जिला पंचायत सीईओं की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े हो गए है, जिन्होने जिला पंचायत भवन में संचालित म.प्र. डे. राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन अनूपपुर की लापरवाही पर चुप्पी साधते हुए जिले के 98 प्रतिशत बच्चों को गणवेश से वंचित कर दिया गया है।
इनका कहना है
शासन स्तर से तीन स्व सहायता समूहों को ही गणवेश सिलाई के लिए अग्रिम राशि भेजी गई थी, इसके साथ ही प्रक्रिया पूर्ण होने तक समय का अभाव होने पर अंतिम समय में 2500 बच्चों को 5606 गणवेश की प्रदायगी संबंधित विद्यालयों को कर दी गई है।
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