इंट्रो - जिले में एक एैसा मामला सामने आया है, जहां संविदा कनिष्ठ विक्रेता जो चिकित्सकीय उपचार के नाम से अवकाश लेकर बैंगलोर में दूसरी जॉब कर रहा है। उक्त कनिष्ठ विक्रेता द्वारा दिसम्बर 2022 में भी उपचार के नाम पर अवकाश लेकर पटवारी परीक्षा की तैयारी को लेकर कोचिंग करने गया था तथा 2 माह तक अवकाश तथा 2 माह अपने सहयोगी के माध्यम से शासकीय दुकान में राशन वितरण का कार्य किया गया था। इसके बाद फिर 1 मई 2024 को पेट दर्द के नाम से उपचार हेतु अवकाश में चला गया और वर्तमान में बैंगलोर में दूसरी जॉब करने की जानकारी पूरे वेंकटनगर में फैली हुई है।
अनूपपुर। आदिम जाति सेवा सहकारी समिति वेंकटनगर अंतर्गत आने वाले शासकीय उचित मूल्य की दुकान बीड़ के कनिष्ठ विक्रेता अभिषेक सोनी जो कि पेट के गांठ का उपचार कराने हेतु बिना चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र लगाऐ आवेदन देते हुए अवकाश में है। लेकिन अब तक कनिष्ठ विक्रेता वापस नही आया। कनिष्ठ संविदा विक्रेता अभिषेक सोनी जो कि मई से अवकाश पर है, अब तक वापस नही आया। वहीं आदिम जाति सेवा सहकारी समिति के प्रबंधक द्वारा उक्त शासकीय उचित मूल्य की दुकान बीड़ में राशत वितरण हेतु मुण्डा दुकान के सेल्समैन प्रमोद श्रीवास्तव को अतिरिक्त प्रभार दे दिया गया, जहां अब तक प्रमोद श्रीवास्तव उक्त दुकान का संचालन मई माह से कर रहे है। बावजूद इसके अवकाश में होने के बाद भी उक्त विक्रेता को माह जून का वेतन भुगतान कर दिया गया है।
बैंगलोर में कर रहा दूसरी जॉब
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कनिष्ठ संविदा विक्रेता अभिषेक सोनी अपनी बीमारी का बहाना बनाकर बैंगलोर में दूसरी जॉब कर रहे है। जब इस संबंध में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति वेंकटनगर के प्रबंधक विजय पांडेय से जानकारी ली गई तो उन्होने स्वीकार किया कि अभिषेक सोनी 1 जून से अवकाश में है, जिन्होने पेट में गांठ पड़ जाने के कारण अपना उपचार कराए जाने के लिए बाहर जाना बताया गया, लेकिन इस संबंध में कोई चिकित्सकीय प्रमाण पत्र अपने आवेदन मे संलग्र नही किया गया है और ना ही आवेदन में अवकाश की समय सीमा बताई गई है।
पूर्व में भी इलाज के नाम पर कोचिंग कर रहा विक्रेता
जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में भर्ती हुए कनिष्ठ संविदा विक्रेता अभिषेक सोनी को अप्रैल 2021 में शासकीय उचित मूल्य की दुकान सिंघौरा आवांटित हुई थी। जहां कुछ दिनों दुकान का संचालन करने के बाद विक्रेता अभिषेक सोनी को शासकीय दुकान बीड़ आवंटित कर दिया गया था, जहां जनवरी 2023 में अभिषेक सोनी ने अपने अधिकारियों को गुमराह करते हुए पेट में गांठ होने पर उपचार कराने का बहाना बनाते हुए अवकाश का आवेदन देते हुए पटवारी परीक्षा की तैयारी के लिए कोचिंग करने चला गया था और 2 माह बाद वापस आने के बाद उक्त दुकान अपने सहयोगी के माध्यम से दुकान का संचालन किया गया, जिसके बाद जून 2023 में आकर ज्वाइन किया गया।
अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा खेल
पूरे मामले में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति वेंकटनगर के प्रबंधक, कॉपरेटिव इंस्पेक्टर वा प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है। जहां कनिष्ठ संविदा विक्रेता अपने संविदा अनुबंध के शर्तो का खुले आम उल्लंघन किए जाने के बाद भी अब उक्त कनिष्ठ विक्रेता के खिलाफ कोई कार्यवाही नही की गई। अनुबंध शर्तो के अनुरूप संविदा विक्रेता को दुकान का प्रभार दिए जाने के बाद कार्य संतोष जनक नही होने या फिर धोखाखड़ी वा गबन किए जाने पर किसी भी समय संविदा नियुक्ति समाप्त किया जा सकता है। लेकिन सक्षम अधिकारियों का पूरे मामले की जानकारी होने के बाद भी गोपनीय रखते हुए उक्त विक्रेता को अवकाश के समय भी वेतन का भुगतान उसके खातों में कर दिया गया है।
संविदा विक्रेता के लिए क्या है अवकाश नियम
संविदा विक्रेताओं की भर्ती प्रक्रिया में दिए गए अनुबंध की शर्तो में साफ लिखा था कि कोई भी कर्मचारी अधिकार के रूप में किसी भी प्रकार के अवकाश का हकदार नही होगा, यदि आवश्यक हो तो समक्ष अधिकारी के विवेक पर अवकाश स्वीकृत करना निर्भर होगा। इसके साथ ही सक्षम अधिकारी की पूर्व स्वीकृति प्राप्त किए बिना अपने कार्य कार्य से अनुपस्थित नही रहेगा एवं बीमारी या दुर्घटना की दशा में बिना शासकीय चिकित्सा अधिकारी अथवा रजिस्टर्ड मेडिकल प्रक्टिशनर के चिकित्सा प्रमाण-पत्र के अनुपस्थित नही रहेगा किन्तु अस्थाई अस्वस्थता की स्थिति में जो 6 दिन से अधिक की अवकाश स्वीकृत नही होगी, बावजूद इसके पूरे मामले में समक्ष अधिकारियों की मिलीभगत एवं अवकाश में होने पर भी जून माह का वेतन भुगतान संदेह के घेरे में है।
इनका कहना है
मामला संज्ञान में आया है, पूरे मामले की जांच कॉपरेटिव इंस्पेक्टर वा प्रशासन से करवाई जाकर दोषी पाए जाने पर कनिष्ठ संविदा विक्रेता के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें