आयोजन एवं रैली के माध्यम से आमजनों को दी गई संपूर्ण जानकारी
अनूपपुर। नवीन आपराधिक कानून 2023 के लागू होने पर 1 जुलाई को कोतवाली थाना अनूपपुर द्वारा जिला अस्पताल के स्व-सहायता भवन में नए कानून के संबंध में जानकारी देने हेतु कार्यक्रम का आयोजन जिला एवं सत्र न्यायालय की जिला न्यायाधीश तथा जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अनूपपुर की सचिव मोनिका आध्या तथा जिला अपर सत्र न्यायाधीश पंकज जायसवाल एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इसरार मन्सूरी सहित जिला पंचायत अध्यक्ष प्रीति रमेश सिंह की उपस्थिति में किया गया। कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिक, शांति समिति के सदस्य, अधिवक्ता, महिलाएं, युवा एवं छात्र-छात्राएं सहित बड़ी संख्या में लोग बढ़चढ़ कर सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम में जिला न्यायाधीश मोनिका आध्या ने तीन नवीन अपराधिक कानून भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) कानून के लागू होने न्याय प्रणाली में हुए अहम बदलावों से संबंधित जानकारी विस्तृत रूप से दी गई। उन्होने बताया कि इस कानूनी प्रक्रिया में एफआईआर से केस डायरी, केस डायरी से चार्जशीट और चार्जशीट से जजमेंट तक की सारी प्रक्रिया को डिजिटलाइज करने का प्रावधान इस कानून में किया गया है। शिकायतकर्ता और गवाहों का परीक्षण, जांच-पड़ताल और मुकदमे में साक्ष्यों की रिकॉर्डिंग और उच्च न्यायालय के मुकदमे और पूरी अपीलीय कार्यवाही भी अब डिजिटली संभव होगी। पुलिस को अब सर्च और जब्ती के वक्त वीडियोग्राफी को आवश्यक कर दिया गया है, जो केस का हिस्सा होगी और इससे निर्दोश नागरिकों को फंसाया नहीं जा सकेगा। नागरिकों की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए पहली बार जीरो एफआईआर की शुरुआत होगी। अपराध कहीं भी हुआ हो उसे अपने थाना क्षेत्र के बाहर भी रजिस्टर किया जा सकेगा। अपराध रजिस्टर होने के 15 दिनों के अंदर संबंधित थाने को भेजना होगा। पहली बार ई-एफआईआर का प्रावधान जोड़ा गया है। हर जिले और पुलिस थाने में एक ऐसा पुलिस अधिकारी नामित किया जाएगा जो गिरफ्तार किए गए व्यक्ति के परिवार को उसकी गिरफ्तारी के बारे में ऑनलाइन और व्यक्तिगत रूप से सूचना देगा। यौन हिंसा के मामले में पीडि़त का बयान आवश्यक कर दिया गया है और यौन उत्पीडऩ के मामले में बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग भी अब आवश्यक कर दी गई है। पुलिस को 90 दिनों में शिकायत का स्टेटस और उसके बाद हर 15 दिनों में फरियादी को स्टेटस देना आवश्यक होगा। पीडि़त को सुने बिना कोई भी 7 वर्ष या उससे अधिक के कारावास का केस वापस नहीं ले सकेगी, इससे नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी।
नए कानूनों में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए 90 दिनों की समयसीमा तय की गई है और परिस्थिति देखकर अदालत आगे 90 दिनों की परमीशन और दे सकेंगी। इस प्रकार 180 दिनों के अंदर जांच समाप्त कर ट्रायल के लिए भेज देना होगा। कोर्ट अब आरोपित व्यक्ति को आरोप तय करने का नोटिस 60 दिनों में देने के लिए बाध्य होंगे। बहस पूरी होने के 30 दिनों के अंदर न्यायाधीश फैसला देगा, इससे सालों तक निर्णय पेंडिंग नहीं रहेगा और फैसला 7 दिनों के अंदर ऑनलाइन उपलब्ध कराना होगा।
जिला अपर सत्र न्यायाधीश पंकज जायसवाल ने बताया कि अंग्रेजों के जमाने से चले आ रहे भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ली है। भारतीय दंड संहिता से लेकर भारतीय न्याय संहिता तक में बदलाव किए गए हैं। अब इलेक्ट्रानिक कम्युनिकेशन के जरिए सूचना दिए जाने पर भी एफआईआर लिखी जा सकेगी, अगर ई- एफआईआर दर्ज करवाई जाती है तो तीन दिन के अंदर पीडि़त को थाने पहुंचना अनिवार्य होगा। नए कानून के मुताबिक, कोर्ट को पहली सुनवाई की तारीख से 60 दिन के अंदर आरोप तय करना होगा. अंतिम सुनवाई के बाद अधिकतम 45 दिन में फैसला सुनाना जरूरी किया गया है. जांच और फैसलों में तेजी के लिए अब ईमेल, मोबाइल मैसेज भी साक्ष्य के तौर पर स्वीकार किए जाएंगे। इससे कोर्ट में तारीख पे तारीख वाली स्थिति नहीं बनेगी और केस जल्दी निपटेंगे।
नवीन कानून के संबंध में कार्यक्रम के बाद में एसडीओपी अनूपपुर सुमित केरकेट्टा, कोतवाली निरीक्षक अरविंद जैन, उपनिरीक्षक संजय खलको, प्रधान आरक्षक महेन्द्र राठौर, शेख रसीद, आरक्षक मनोज गुर्जर, प्रवीण भगत सहित कोतवाली स्टॉफ ने तीन नवीन कानून की जानकारी लोगो तक पहुंचाने हेतु गणमान्य नागरिको, छात्र-छात्राओं, महिलाओं एवं युवाओं के साथ रैली निकाली गई। रैली जिला अस्पताल से तहसील कार्यालय अनूपपुर होते हुए वापस इंदिरा तिराहा पहुंची जहां रैली का समापन किया गया। रैली में नवीन कानून से संबंधित जानकारी नारों एवं फ्लैक्सी के माध्यम से लोगो तक पहुंचाई गई।
कोई टिप्पणी नहीं
एक टिप्पणी भेजें