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Anuppur News : फर्जी 500 के नोट बनाने, चलाने और रखने के अपराध में आरोपीगण गए जेल

शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

/ by News Anuppur

मामला वर्ष 2017 में जैतहरी थाना क्षेत्र का, 500 के जब्त हुए थे 437 नकली नोट

अनूपपुर। न्यायालय प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश अनूपपुर पंकज जायसवाल द्वारा 11 जुलाई को सत्र प्रकरण क्रमांक 23/18, थाना जैतहरी के अपराध क्रमांक 331/2017 धारा 489(क), 489(ख), 489(ग), 489(घ) भादवि के आरोपीगण मथुरा प्रजापति, पारसलाल यादव, रूपलाल पुरी, भुजबल मरावी, अनिलशरण दोशवा सभी को धारा 489(ख) के अपराध में 10 वर्ष का कठोर कारावास और 2 हजार का जुर्माना से दंडित किया गया तथा धारा 489(ग) के अपराध में 5 वर्ष का कठोर कारावास और 2 हजार के अर्थदंड से दंडित किया गया है। कठोर कारावास के दंडादेश को न्यायालय द्वारा साथ-साथ भोगे जाने हेतु निर्देशित किया,  मामले में राज्य की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी हेमंत अग्रवाल  द्वारा की गई।  
मामले की जानकारी के अनुसार 1 नवम्बर 2017 को सुबह फरियादी अंशु प्रजापति अपनी किराना दुकान में था। सुबह 6.30 बजे ग्राम छातापटार का मथुरा प्रजापति उसकी दुकान में आया और 500 का नोट क्रमांक 9केएम700868 देकर 20 रूपए का सामान राजश्री, बी.डी. व पंजाबी तडक़ा लिया। उसने उसे 480 रूपए वापस दिया। उसी दिन शाम को उसने देखा कि मथुरा प्रजापति द्वारा दिया गया 500 रूपए का नोट का कागज मोटा था एवं दाएं भाग में 500 अंक में लिखे भाग के ऊपर गांधी जी का फोटो नहीं दिखाई दे रहा था। असली नोट से मिलाने पर उक्त 500 का नोट नकली था, जिसकी शिकायत उसके द्वारा जैतहरी थाने में की गई। शिकायत पर थाने में अपराध क्रमांक 331/17 पर प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज की गई, जैतहरी पुलिस द्वारा विवेचना के दौरान मथुरा प्रजापति को गिरफ्तार कर उससे पूछताछ की गई, उसके कब्जे से एक और 500 का नकली नोट जब्त किया गया, आरोपी मथुरा प्रजापति द्वारा बताया गया कि आरोपी पारस लाल उसे चलाने के लिये दिया था, पारसलाल को भी पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया। पूछताछ पर उसके कब्जे से 500-500 के 34 नकली नोट जब्त किये गए। पारसलाल द्वारा नकली नोट आरोपी रूपलाल पनिका द्वारा दिए जाना बताया, रूपलाल पनिका से पूछताछ पर उसने अपना अपराध स्वीकार किया, उसके कब्जे से 500-500 के 44 नकली नोट जब्त किये गए। आरोपी रूपलाल पनिका द्वारा नकली नोट आरोपी भुजबल से लेना बताया गया, उक्त जानकारी के आधार पर पुलिस द्वारा भुजबल से पूछताछ की गई और उसके कब्जे से 140 नग नकली 500 के नोट पाए गए। भुजबल द्वारा नकली नोट अन्य आरोपी अनिल शरण से प्राप्त होना बताया गया, अनिल शरण को भी गिरफ्तार किया गया और उसके कब्जे 197 500 के नकली नोट जब्त किये गए, अनिल शरण के कब्जे से ही नोट बनाने में प्रयोग किया गया प्रिंटर, कम्प्यूटर आदि सामग्री जब्त की गई। आरोपी द्वारा बल्देव सिंह को भी नकली नोट देना बताया, बल्देव सिंह के कब्जे से भी 20 नग 500 के नकली नोट जब्त किए गए। आरोपीगण से जब्त नकली नोटों को जांच हेतु एसबीआई बैंक एवं पुणे फॉरेंसिक विभाग को भेजा गया, जिनकी रिपोर्ट के आधार पर आरोपीगण से जब्त नोट फर्जी पाए गए। नकली नोट बनाने में प्रयुक्त प्रिंटर, कटर, कम्प्यूटर आदि सामग्री को जांच हेतु भेजा गया, मौके पर ही अधप्रिंट व कटे हुए नकली नोट भी प्राप्त हुए उन्हें जिसे भी जब्त किया गया। सभी आरोपीगण को न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया, सम्पूर्ण विवेचना पश्चात अभियोग प़त्र न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए जिला दंडाधिकारी अनूपपुर की अध्यक्षता में आयोजित कमेटी द्वारा इस प्रकरण को चिन्हित एवं सनसनीखेज प्रकरणों की सूची में शामिल किया गया, प्रकरण की विवेचना व अन्य कार्यवाही की मॉनिटरिंग पुलिस अधीक्षक अनूपपुर द्वारा की गई और प्रकरण में राज्य की ओर से पैरवी जिला अभियोजन अधिकारी अनूपपुर द्वारा की गई।
प्रकरण में विचारण के दौरान पैरवीकर्ता अभियोजन अधिकारी द्वारा विवेचना में आए सभी तथ्यों को न्यायालय के सामने रखा और नकली नोटों की जब्ती आरोपीगण से ही हुई थी। इस संबंध में साक्ष्य प्रस्तुत किया, तथा जब्तशुदा समस्त नकली नोटों और नकली नोटों के संबंध में आई रिपोर्ट को भी न्यायालय में पेश किया, न्यायालय ने प्रथम दृष्टया समस्त नोटों को फर्जी होना प्रमाणित माना, न्यायालय द्वारा प्रकरण की गंभीरता और इस प्रकार के अपराध से देश की अर्थव्यवस्था पर पडऩे वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उक्त कठोर दंडादेश से दंडित किया है।

प्रकरण का एक आरोपी हुआ फरार

प्रकरण का एक आरोपी बल्देव सिंह अनुपस्थित रहा, उससे संपर्क स्थापित किया गया, उसकी कार्यवाही को प्रकरण से पृथक किया गया। आरोपी के अनुपस्थित होने के कारण जमानत मुचलके जब्त किये गए, स्थायी गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया और इस आरोपी के संबंध में निर्णय को बंद लिफाफे में रखा गया। आरोपी के गिरफ्तार होने पर भविष्य में न्यायालय द्वारा दंड के विषय में सुनकर दंडादेश पारित किया जा सकेगा।   

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